गढ़वाली-कविता

गांधीवाद (गढ़वाली कविता)

 
 
 

सि बिंगौंणा छन
गांधीवाद अपनावा
बोट देण का बाद
गांधी का तीन
बांदरूं कि तरां
आंखा-कंदुड़/ अर
मुक बुजिद्‌यावा

Source : Jyundal (A Collection of Garhwali Poems)
Copyright@ Dhanesh Kothari

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One Comment

  1. बापू! मै भारत का वासी, तेरी निशानी ढूंढ रहा हूँ.
    बापू! मै तेरे सिद्धान्त, दर्शन,सद्विचार को ढूंढ रहा हूँ.
    सत्य अहिंसा अपरिग्रह, यम नियम सब ढूंढ रहा हूँ.
    बापू! तुझको तेरे देश में, दीपक लेकर ढूंढ रहा हूँ.

    कहने को तुम कार्यालय में हो, न्यायालय में हो,
    जेब में हो, तुम वस्तु में हो, सभा में मंचस्थ भी हो,
    कंठस्थ भी हो, हो तुम इतने ..निकट – सन्निकट…,
    परन्तु बापू! सच बताना आचरण में तुम क्यों नहीं हो?

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