गढ़वाली-कविता

सांसू त् भ्‍वोर

बिसगणि बिसैकि सै
उकळी जैलि उकाळ
एक न एक दिन
सांसू त् भ्‍वोर

जाग मा च मयेड़

बैठीं देळी मा अब्बि तलक
बर्सूं बाद- सै
पछणे जैलि धार मा ई
सांसू त् भ्‍वोर

धारा मंगरा पगळी जाला

डांडा कांठा मौळी जाला
बौडी जाला भाग-
फेर, देर-सबेर
सांसू त् भ्‍वोर

सर्वाधिकार- धनेश कोठारी

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