हिन्दी-कविता
गिर्दा !! (हिन्दी कविता)
गिर्दा
तुम याद आओगे
जब भी
लाट साहबों के फ़रमान
मानवीयता की हदें तोड़ेंगे
जब भी
दरकेंगे समाज
किसी परियोजना के कारण…
जब भी
जुड़ना चाहेंगे शब्द
समाज की प्रगतिशीलता के लिए
गिर्दा तुम याद आओगे
कविता, गीतों की तान में…….।
सर्वाधिकार- धनेश कोठारी