गढ़वाली-कविता

हिसाब द्‍या (गढ़वाली कविता)

हम रखणा छां
जग्वाळी तैं हर्याळी थैं
हिसाब द्‍या, हिसाब द्‍या
हे दुन्यादार लोखूं तुम
निसाब द्‍या…….

तुमरा गंदळा आसमान
हमरु हर्याळी कू ढ़क्याण
तुम, बम बणांदी रावा
हम त रोपदी जौंला डाळा

तुमारु धुळ माटु कचरा
हम बुकाणा छां दिन द्वफरा
तुमन्‌ ओजोन भेद्‍याली
हम, पुणदा लगैकि डाळी

तुमरि गाड़ीं च विपदा
हमरि सैंति च संपदा
तुमरु अटलांटिक छिजदा
हमरु हिमाला जुगराज

तुमरि ल्वैछड़्या कुलाड़ी
हमरि चिपकदी अंग्वाळी
तुमुन्‌ मनख्यात उजाड़ी
हमुन्‌ पुन्यात जग्वाळी
हिसाब द्‍या……………….॥

Source : Jyundal (A Collection of Garhwali Poems)
Copyright@ Dhanesh Kothari

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