गेस्ट-कॉर्नर
‘जाह्नवी’ का लोकार्पण
नई दिल्ली, विश्व पुस्तक मेला-2013 में रविवार को युवा कवि–पत्रकार जगमोहन ‘आज़ाद‘ के तिसरे कविता संग्रह ‘जाह्नवी‘ का लोकार्पण हिन्दी अकादमी के सचिव डॉ.हरिसुमन बिष्ट एवं वरिष्ठ लेखक एवं समयांतर के संपादक पंकज बिष्ट ने किया। पुस्तक का विमोचन करते हुए वरिष्ठ लेखक एवं हिन्दी अकादमी के सचिव डॉ.बिष्ट ने कहा की जगमोहन के इस संग्रह कि कविताएं निराल की कविता सरोज स्मृति की याद दिला देती है।
जाह्नवी संग्रह के माध्यम् से जगमोहन ने अपनी चार साल की बिटियां जाह्नवी के छोटे से जीवन को कविता के रूप में पिरो कर एक नयी परिभाषा उकेरी है…जो बहुत ही मार्मिक और मन से जुड़ी है। डॉ.हरिसुमन ने पुस्तक मेले में विमोचन के समय उपस्थित पाठकों और दर्शकों को अवगत कराया की…जगमोहन की बिटिया…जाह्नवी…भयंकर बिमारी ब्रेनइंजरी से ग्रस्त थी,जो चार साल की छोटी इस उम्र में इस बिमारी से लड़ते हुए…हमसे दूर चली गयी,लेकिन जगमोहन ने अपनी कविताओं के माध्यम् से अपनी बिटियां को अपनी गोद में आज भी जीवित रखा है।
इस अवसर पर समयांतर के संपादक एवं वरिष्ठ लेखक पंकज बिष्ट ने कहा कि युवा कवि जगमोहन आज़ाद की पुस्तक जाह्नवी की कविताएं निश्चित तौर हम सब की बेटी की कविताएं है। इन कविताओं को पढ़ते हुए। जीवन और मृत्यु को परिभाषित करने की नयी सोच पैदा ही नहीं करती बल्कि असाध्य रोग किस तरह मनुष्यता की सारी प्रगति पर प्रश्नचिहन भी छोड़ती है। जिसे जगमोहन ने अपनी हर कविता में उकेरा है। यह बहुत ही सोचनीय और गंभीर भी हैं कि एक सहृदय पिता के द्वारा पुत्री के शोक में रचित एक–एक पंक्ति जब हमें भावुक कर रही हैं तो खुद इस पिता की मनोस्थित क्या रही होगी। यह शायद जगमोहन बेहतर जानते होगें। लेकिन उन्होंने जिस तरह से अपनी पुत्री की छोटे जीवन काल के इन कविताओं में उकेरा हैं,यह यकीनन बेटी जाह्नवी को श्रद्धांजलि है। इसके लिए जगमोहन आज़ाद की तारीफ की जानी चाहिए।
इस अवसर पर उपस्थित युवा पत्रकार जगदीश जोशी साधक ने कहा की,मैने अपनी आंखों से जगमोहन आज़ाद को अपनी बेटी जाह्नवी को देश के बड़े–बड़े अस्पतालों और वेद्याचार्यों के यहां जाते हुए देखा है। मैने उनकी पीड़ा को बहुत करीब से देखा है। अपनी बिटियां की बिमारी को लेकर जो संघर्ष जगमोहन और उनकी पत्नी सुनीता ने किया,मैने उसे बहुत नजदीक से महसूस किया हैं,और आज उन संघर्षों और पीड़ा को इन कविताओं में देख रहा हूं,तो भावुक हो जाता हूं।
इस मौके पर भावुक होते हुए पुस्तक के लेखक जगमोहन आज़ाद ने कहां की इस संग्रह में मौजूद हर एक कविता मेरी बिटियां जाह्नवी की कविताएं हैं। ये हमारे वजूद की कविताएं है…जो हमारी गोद में हमेशा खेलती कुदती रहेगी…हमारी जाह्नवी की तरह…।
जगमोहन आज़ाद की पुस्तक के विमोचन के अवसर पर हिन्दी के वरिष्ठ लेखक प्रदीप पंत,धात के संस्थापक लोकेश नवानी,वरिष्ठ पत्रकार रमेश आज़ाद,राजेश डोबरियाल,नेशनल बुक ट्रस्ट,इंडिया के सहायक निदेशक राकेश कुमार सहित कई पत्रकार एवं कवि मौजूद थे।
जाह्नवी संग्रह के माध्यम् से जगमोहन ने अपनी चार साल की बिटियां जाह्नवी के छोटे से जीवन को कविता के रूप में पिरो कर एक नयी परिभाषा उकेरी है…जो बहुत ही मार्मिक और मन से जुड़ी है। डॉ.हरिसुमन ने पुस्तक मेले में विमोचन के समय उपस्थित पाठकों और दर्शकों को अवगत कराया की…जगमोहन की बिटिया…जाह्नवी…भयंकर बिमारी ब्रेनइंजरी से ग्रस्त थी,जो चार साल की छोटी इस उम्र में इस बिमारी से लड़ते हुए…हमसे दूर चली गयी,लेकिन जगमोहन ने अपनी कविताओं के माध्यम् से अपनी बिटियां को अपनी गोद में आज भी जीवित रखा है।
इस अवसर पर समयांतर के संपादक एवं वरिष्ठ लेखक पंकज बिष्ट ने कहा कि युवा कवि जगमोहन आज़ाद की पुस्तक जाह्नवी की कविताएं निश्चित तौर हम सब की बेटी की कविताएं है। इन कविताओं को पढ़ते हुए। जीवन और मृत्यु को परिभाषित करने की नयी सोच पैदा ही नहीं करती बल्कि असाध्य रोग किस तरह मनुष्यता की सारी प्रगति पर प्रश्नचिहन भी छोड़ती है। जिसे जगमोहन ने अपनी हर कविता में उकेरा है। यह बहुत ही सोचनीय और गंभीर भी हैं कि एक सहृदय पिता के द्वारा पुत्री के शोक में रचित एक–एक पंक्ति जब हमें भावुक कर रही हैं तो खुद इस पिता की मनोस्थित क्या रही होगी। यह शायद जगमोहन बेहतर जानते होगें। लेकिन उन्होंने जिस तरह से अपनी पुत्री की छोटे जीवन काल के इन कविताओं में उकेरा हैं,यह यकीनन बेटी जाह्नवी को श्रद्धांजलि है। इसके लिए जगमोहन आज़ाद की तारीफ की जानी चाहिए।
इस अवसर पर उपस्थित युवा पत्रकार जगदीश जोशी साधक ने कहा की,मैने अपनी आंखों से जगमोहन आज़ाद को अपनी बेटी जाह्नवी को देश के बड़े–बड़े अस्पतालों और वेद्याचार्यों के यहां जाते हुए देखा है। मैने उनकी पीड़ा को बहुत करीब से देखा है। अपनी बिटियां की बिमारी को लेकर जो संघर्ष जगमोहन और उनकी पत्नी सुनीता ने किया,मैने उसे बहुत नजदीक से महसूस किया हैं,और आज उन संघर्षों और पीड़ा को इन कविताओं में देख रहा हूं,तो भावुक हो जाता हूं।
इस मौके पर भावुक होते हुए पुस्तक के लेखक जगमोहन आज़ाद ने कहां की इस संग्रह में मौजूद हर एक कविता मेरी बिटियां जाह्नवी की कविताएं हैं। ये हमारे वजूद की कविताएं है…जो हमारी गोद में हमेशा खेलती कुदती रहेगी…हमारी जाह्नवी की तरह…।
जगमोहन आज़ाद की पुस्तक के विमोचन के अवसर पर हिन्दी के वरिष्ठ लेखक प्रदीप पंत,धात के संस्थापक लोकेश नवानी,वरिष्ठ पत्रकार रमेश आज़ाद,राजेश डोबरियाल,नेशनल बुक ट्रस्ट,इंडिया के सहायक निदेशक राकेश कुमार सहित कई पत्रकार एवं कवि मौजूद थे।