मेडिकल टूरिज़्म में मड थेरेपी की जरूरत
भारत मेडिकल टूरिज्म में कई सकारात्मक तत्वों के कारण प्रगति कर रहा है। मेडिकल टूरिज्म में प्राकृतिक चिकित्सा का योगदान भी अब वृद्धि पर है, जैसे केरल व उत्तराखंड। प्राकृतिक चिकित्सा पर्यटन विकास में मृदा चिकित्सा या मड थेरेपी टूरिज्म का महत्वपूर्ण योगदान है। मृदा चिकित्सा पर्यटन के विकास के लिए कई बातों पर ध्यान देना होगा। वैकल्पिक पर्यटन अथवा प्राकृतिक चिकित्सा पर्यटन विकास में मृदा अथवा मड चिकित्सा सुविधा आवश्यक है। मृदा चिकित्सा में मिट्टी मुख्य माध्यम होता है।
मृदा चिकित्सा के तरीके
मृदा लेप : जिसमे मुंह या विशेष अंग पर औषधि मिश्रित या केवल मिट्टी का लेप किया जाता है। जैसे घाव भरने में घाव पर चिकने मिटटी (चिपुड़ माटु) लेपी जाती है।
मृदा स्नान : मृदा स्नान या मड बाथ में शरीर के वृहद भाग में मिट्टी लेप किया जाता है या मनुष्य मिट्टी में लगभग नहाता है।
मृदा मालिश : मृदा मालिश में गीली अथवा सूखी मिट्टी से मालिश की जाती है।
मृदा में निद्रा : गीली अथवा सूखी मिट्टी में सो जाना। तनाव समाप्ति, नदी शक्ति वृद्धि आदि के लिए मिट्टी आराम या लेटने की सलाह दी जाती है।
मिट्टी में चलना : मनुष्य को गीली मिट्टी अथवा सूखी या घास सहित मिटटी में नंगे पांव चलाया जाता है। जो किडनी, गुरुत्वाकर्षण शक्ति वृद्धि, नेत्रों की दृश्य यानि बॉडी बैलेंस व कई इलाज के लिए प्रयोग होता है।
मृदा चिकित्सा के लाभ
– मिट्टी सूर्य की किरणों से रंग चुस्ती लाती है।
– शरीर को प्रदान करती है।
– गठिया व त्वचा सुधर के लिए मृदा चिकित्सा लाभकारी है।
– मृदा स्नान से त्वचा में बसे सूक्ष्म जीवाणु निकल जाते हैं।
– मृदा स्नान या मृदा लेप से त्वचा रंध्र खुल जाते हैं।
– त्वचा से फोड़े, पिम्पल्स की समाप्ती।
– त्वचा कांती वृद्धि।
– पेट पर गीली मिटटी लेप से आंतों की कई बीमारी जैसे कब्ज, उल्टी, उबकाई, पेचिस की बीमारियों में सुधार।
– मिट्टी अथवा मृदा चिकित्सा से नेत्र मांसपेशियों का खिचाव कम किया जाता है व दृश्य शक्ति वर्धन भी होता है।
– मृदा अथवा मिट्टी चिकित्सा त्वचा संबंधी जैसे त्वचा फटना, फंगल या बैक्ट्रियल रोग (कादैं, यदि फटना, चरम रोग) आदि में लाभकारी होता है।
– वृद्ध अवस्था कम करना या युवापन लौटाने के लिए।
– घाव भरान।
– बुखार, सिरदर्द रोकथाम आदि के लिए।
– गठिया सुधार मृदा चिकित्सा अथवा मड थिरेपी के उपरोक्त लाभ सिद्ध करते हैं कि मृदा चिकित्सा विकास मेडिकल टूरिज्म विकास में सहायक भूमिका निभाएगा।
मृदा चिकित्सा में क्लिनिकल टेस्टिंग रिजल्ट
भारत में अंग्रेजों से सीखने के कारण बहुत से लाभकारी पारम्परिक चिकित्साओं को अंधविश्वास नाम दे दिया जाता है। मड थेरेपी अथवा मृदा चिकित्सा के बारे में भी कई भ्रांतियां हैं। जबकि क्लिनिकल टेस्ट से सिद्ध हुए हैं कि मृदा चिकित्सा से कई लाभ मिलते हैं। Rhueumatol International जॉर्नल (2011 ) में ए फ्राइयलि आदि के रिसर्च पेपर का निर्णय है कि मड बाथ या मृदा स्नान घुटनों दर्द में सुधार है व रोगी को लाभ पंहुचता है। इन अन्वेषकों ने अन्य खोजपूर्ण लेखों में भी मड थिरैपी की वकालत की है।
Rheumotology Volume 52 (अप्रैल 2013 ) में एल. ई. अंतुनेज आदि की खोज के अनुसार मृदा चिकित्सा (मालिस, लेप आदि) से घुटने के जोड़ों के दर्द को मिटाने में सहायता मिलती है। अमेरिकी सरकारी नेटवर्क में छपी फोंडा मॉगेरी व बाल्डी की खोज अनुसार मृदा चिकित्सा COPD (क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) रोगी को लाभ मिलता है।
द इजरायल मेडिकल असोसिएसन जॉर्नल की अप्रैल 2016 में निकोला ए पास्कारेली आदि की खोज सिद्ध करती है कि मृदा चिकित्सा (स्नान, लेप आदि) से घुटनों के जोड़ दर्द कम होने में सहायता मिलती है। इंडियन जॉर्नल ऑफ ट्रेडीसनल नॉलेज (जुलाई 2012 ) में राजीव रस्तोगी ने कई अन्य खोजों के अध्ययन से निर्णय दिया कि मड थेरैपी ( लेप व स्नान ) से आधुनिक समय में भी न्यूरोपैथी संबंधी रोग निदान में अवश्य ही लाभ मिलता है।
न्यू जर्सी के डॉ. हैरी शिक डी सी ने भी मड थिरैपी की वकालत की है, लिखा कि विशेषतः जोड़ों के दर्द निवारण के लिए गर्म मृदा (कीचड़) लेप जोड़ों के दर्द निवारण में लाभकारी होते हैं। जॉर्नल ऑफ कंप्लीमेंट्री ऐंड इंटीग्रेटिव मेडिसिन्स (जुलाई 2018 ) में रेशमा जोगड़ांड आदि के पयोग से सिद्ध होता है कि मड थिरैपी आंख के लिए लाभकारी हो सकते हैं। विशेषतः माइंडफुल अटेन्सन स्केल। आंखों में मड थेरैपी से प्रजर्वेटिव थिंकिंग क्वेसनरी में भी लाभकारी हो सकता है।
डॉ. ज्ञानदीप आदि की खोज (जॉर्नल ऑफ डेंटल ऐंड मेडिकल साइंस, सितंबर 2016 ) से भी सिद्ध हुआ कि मड बात /मड थेरेपी कार्डियक टोन को मेंटेन तो करता ही है। कई अन्य कार्डिक दुःख भी कम करने में सफल है। आजकल छात्रों में नेत्र दृष्टि क्षीणता रोग बहुत फ़ैल रहा है। डा अम्ल ईश चंद्रन आदि की खोज (इंटरनेसां जॉर्नल ऑफ़ रिसर्चेज इन आयुर्वेद फार्मा, मार्च 2018) से पता चलता है कि मृदा लेप ऐस्थेनोपिया रोग के लिए सस्ता व हानिरहित चिकित्सा सिद्ध हो सकती है।
अंतोनेला फिओरावंती आदि की खोज (इंटरनेशनल जॉर्नल ऑफ बायोमैटिरोल, स्वीकृत दिसंबर 2012, 2013 ) भी बताती है कि मृदा चिकित्सा हाथ जोड़ों के दर्द निवारण के लिए लाभदायी चिकित्सा है। लुइस अंतुनेज आदि की खोज (Reumatologia Clinica मई-जून 2013 ) ने भी मड थिरैपी घुटने के जोड़ दर्द के लिए लाभदायी पाया। ओरीना क्लान आदि की खोज (अमेरिकन कॉलेज ऑफ रहिमेटोलॉजी व अमेरिकी सरकार नेटवर्क, अक्टूबर 2016 ) सिद्ध करती है कि जोड़ों के दर्द निवारण के लिए मड थिरैपी सस्ती चिकित्सा भी है।
उपरोक्त संदर्भों के अतिरिक्त अन्य खोजों के अध्ययन से पता चलता है कि मृदा चिकित्सा जोड़ों के दर्द निवारण के लिए (विशेषतः पुराने दर्द ) कामगर चिकित्सा है। मृदा चिकित्सा सस्ती चिकित्सा भी है।
मृदा चिकित्सा पर्यटन विकास के लिए महत्वपूर्ण कारक
मृदा चिकित्सा व मृदा चिकित्सा पर्यटन में कमजोरी का सबसे बड़ा कारण है आयुर्वेद व प्राकृतिक चिकित्साओं का, जैसे उत्तराखंड के मुख्य शहर हरिद्वार, ऋषिकेश व देहरादून में सीमित जबकि मृदा चिकित्सा ग्रामीण पर्यटन का मुख्य भाग है।
मृदा चिकित्सा पर्यटन के लिए आवश्यक काम
– मृदा चिकित्सा का वैज्ञानिक अध्ययन व अन्वेषण।
– मृदा चिकित्सा की ओर समाज का ध्यानाकर्षण जिससे राजनीतिज्ञ, प्रशासक मृदा चिकित्सा पर्यटन पर ध्यान दे सकें। मेरा मानना है समाज जागृत हो तो राजनीति व प्रशासनिक मशीनरी स्वयं ही जागृत होती है। कारण राजनीतिज्ञ व प्रशासक मंगल ग्रह से नहीं आते अपितु समाज से ही पैदा होते हैं।
– मृदा चिकित्सा के लिए प्रशिक्षित कर्मियों का प्रदेश में स्वागत के लिए योजनाएं, डाक्टर व अन्य कर्मियों को आमंत्रित करना आदि।
– संभावित मृदा चिकित्सा स्थलों की खोज व उनका चयन विशिष्ठ ग्रामीण भाग में।
– संभावित मृदा चिकित्सा स्थलों में इंफ्रास्ट्रक्चर व्यवस्था।
– मृदा चिकित्सा के सहयोगी चिकित्सा प्रबंध व प्रतियोगी प्रोडक्ट (होटल, भोजन, मनोरंजन आदि ) का प्रबंधन।
– प्रचार प्रसार
– अनभिज्ञ किन्तु संभावनाओं से भरपूर पर्यटक स्थलों के विकास के लिए मृदा चिकित्सा को उन पर्यटक स्थलों से जोड़ना।
– लघु नदियां, उदाहरणार्थ उत्तराखंड की हिंवल, नयार नदी तटों पर मृदा चिकित्सा की संभावनाएं खोजना, योजना व कार्य।
उपरोक्त कार्य भविष्य के पर्यटन के लिए अति आवश्यक हैं। मृदा चिकित्सा के लिए सामाजिक जागरण आवश्यक है जिससे नए नए निवेशक इस क्षेत्र में आए व मृदा चिकित्सा व्यापार को बढ़ाएं। साथ ही भारत में मृदा चिकित्सा को सामाजिक व प्रशासनिक सम्मान की आवश्यकता भी है।
प्रस्तुत आलेख : भीष्म कुकरेती (वरिष्ठ साहित्यकार एवं सामाजिक चिंतक)