गढ़वाली-कविता

जलम्यां कु गर्व (हिन्दी कविता)

गर्व च हम
यिं धरती मा जल्म्यां
उत्तराखण्डी बच्योंण कु
देवभूमि अर वीर भूमि मा
सच्च का दगड़ा होण कु

आज नयि नि बात पुराणी
संघर्षै कि हमरि कहानी
चौंरा मुंडूं का चिंणी भंडारिन्
ल्वै कि गदन्योन् घट्ट रिगैनी
लोधी रिखोला जीतू पुरिया
कतगि ह्‍वेन पूत-सपूत
ज्यू जानै कि बाजि लगौण कु

गंगा जमुना का मैती छां हम
बदरी-केदार यख हेमकुण्ड धाम
चंद्र सुर कुंजा धारी माता
नन्दा कैलाश लग्यूं च घाम
भैरों नरसिंग अर नागरजा
निरंकार कि संगति च हाम
पांच परयाग हरि हरिद्वार
अपणा पाप बगौण कु

मान सम्मान सेवा सौंळी
प्यार उलार रीत हमरि
धरम ईमान कि स्वाणि सभ्यता
सब्यों रिझौंदी संस्कृति न्यारी
धीर गंभीर अटक-भटक नि
डांडी कांठी शांत च प्यारी
कतगि छविं छन शब्द नि मिलदा
पंवड़ा गीत सुणौण कु

मेलुड़ि गांदि बासदी हिलांस
परदेस्यों तैं लगदी पराज
फूलुं कि घाटी पंवाळी बुग्याळ
ऊंचा हिमाला चमकुद ताज
फ्योंली बुरांस खिलखिल हैंसदा
संगति बस्यूं च मौल्यारी राज
आज अयूं छौं यखमु मि त
पाड़ी मान बिंगौंण कु

Source : Jyundal (A Collection of Garhwali Poems)
Copyright@ Dhanesh Kothari

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