परम्पराओं में निहित लोक कल्याण

श्री बदरीनाथ मंदिर के कपाट खुलने और बंद किये जाने की मान्य परम्पराओं के तहत ज्योतिषीय गणनाओं में लोक कल्याण के साथ ही देश, राज्य की भविष्यगत प्रगति व सुख समृद्धि का भी ख्याल रखा जाता है। बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंदी की प्रक्रिया में संपादित की जाने वाली ज्योतिषीय गणना के अन्तर्गत मुहूर्त तिथि में ग्रह व नक्षत्रों की पुण्य योगीय उपस्थिति का सर्वथा ध्यान रखे जाने का विधान है। इसके तहत मुहूर्त के लिए ज्योतीष गणना में भगवान बदरीनाथ, मुख्य आराधक रावल व देश की राशियों में नियतकाल में मौजुद ग्रह-नक्षत्र की स्थितियों का आंकलन कर पुण्य तिथि का निर्धारण किया जाता है।
आंकलन में माना गया है कि, नियतकाल के संपादन में देश, राज्य व लौकिक जगत का कल्याण निहित हो। निर्वह्न की जाने वाली वैदिक रीतियों में भगवान बदरीश की राशि वृश्चिक में सूर्य का संक्रमण होना अनिवार्य है। वहीं दोष रहित नक्षत्रों व ग्रहों की उपस्थिति का भी विशेष महत्व माना गया है।
इस वर्ष दैवीय आपदाओं के कारण राज्य में हुई क्षति और तीर्थस्थलों को पहुंचे नुकसान के दृष्टिगत भी बदरीनाथ मंदिर के कपाटबंदी के मुहूर्तकाल की तिथि निर्धारण में आने वाले समय का खास ख्याल रखा गया। इसी के तहत कपाट बंदी से पूर्व संपादित पंच पूजाओं के शुभारम्भ तिथि के निर्धारण में भी ग्रह नक्षत्रों की पुण्य स्थिति का आंकलन तय किया जाता है।
धर्माधिकारी जेपी सती ने कहा कि भगवान बदरीश स्वयं इस तीर्थ में लोक कल्याण के लिए ध्यानस्थ हैं। लिहाजा धार्मिक रीति नीति के तहत भी ज्योतिषीय गणनाओं में जगत कल्याण की अवधारणा को महत्व दिया गया। है। विश्व के सर्वोच्च तीर्थ होने के नाते श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने और बंद किये जाने में भी इसी बात का ख्याल रखा जाता है।
लेख- धनेश कोठारी