हिन्दी-कविता
आवाज
तुम्हारे शब्द
मेरे शब्दों से मिलते हैं
हमारा मौन टुटता
नजर भी आता है
वो तानाशाह है
हमारी देहरी पर
हम अपनी मांद से निकलें
तो बात बन जाये
वो देखो आ रही हैं
बुटों बटों की आवाजें
म्यान सहमी है
सान चढ़ती तलवारें
मुट्ठियां भींच कर लहरायें
तो देखो
कारवां बन जाये
चंद मोहरों की चाल टेढ़ी है
प्यादे गुमराह कत्ल होते हैं
शह की हर चाल
रख के देखो तो
मात निश्चित
उन्हीं की हो जाये
तुम्हारे शब्द………..।
Copyright@ Dhanesh Kothari