गेस्ट-कॉर्नर

जब देहरादून आए थे राष्ट्रीय कवि ‘दिनकर’

(राष्ट्रीय कवि रामधारी सिंह दिनकर की पुण्यतिथि पर विशेष)
– डॉ. अतुल शर्मा 

मेरे नगपति! मेरे विशाल!

साकार दिव्य गौरव विराट

पौरुष के पुंजीभूत ज्वाल

मेरी जननी के हिम किरीट

मेरे भारत के दिव्य भाल।

मेरे नगपति मेरे विशाल।

राष्ट्रीय कवि रामधारी सिंह दिनकर जी की यह प्रसिद्ध कविता “हिमालय के प्रति“ एक कालजयी कविता है। दिनकर जी हिन्दी काव्य साहित्य के सूर्य है। छायावादी युग के बाद प्रगतिवादी काव्यधारा में उनका विशेष स्थान तो है ही पर स्वाधीनता सेनानी के रुप में भी उनका अवदान है।
मुझे याद है कि 70 के दशक में देहरादून में आयोजित एक कवि सम्मेलन के मंच पर अध्यक्षता कर रहे राष्ट्रीय कवि रामधारी सिंह दिनकर जी विराजमान थे। साथ में देश के प्रसिद्ध कवि मौजूद थे। उनकी कविता सुनकर ऐसा लग रहा था कि मानां एक युग हुंकार रहा हो। खादी का धोती कुर्ता दिव्य ललाट तेजस्वी आंखें। दिनकर जी का सानिध्य मंच पर और उसके बाद भी मिला अपने पिता स्वतंत्रता सेनानी कवि श्रीराम शर्मा ‘प्रेम’ के साथ। तब उन्होंने एक बात कही थी कि कविता प्रयोजनमूलक होनी चाहिए।
युग के सच्चे मार्गदर्शक थे दिनकर जी। उनकी यह कविता आज स्मरण करता हूं तो लगता है कि यह कालजयी कवि यूग- युगों तक जीवित रहेगा…

सदियों की ठंडी बुझी राख सुगबुगा उठी।

मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है

दो राह समय के रथ का धर्धर नाद सुनो

सिहांसन खाली करो कि जनता आती है।

कवि रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 1908 में और निधन 1974 में हुआ। उनके काव्य संग्रह में ‘रेणुका’, ‘हुंकार‘, ‘रसवंती’ शामिल हैं। जबकि ‘कुरुक्षेत्र’,  ’रश्मिरथी और उर्वशी उनके प्रबंध काव्य संग्रह हैं।
हिन्दी काव्य साहित्य में सुमित्रानंदन पंत, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’, रामधारी सिंह दिनकर और महादेवी वर्मा आदि महत्वपूर्ण नाम हैं जिनसे युग की पहचान होती है।
उन्हें पद्मभूषण सम्मान प्रदान किया गया। ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुए। उन्होंने भारत सरकार के हिन्दी सलाहकार और भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति पद को भी सुशोभित किया था। दिनकर जी आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत है। देहरादून मे दिनकर जी का आना एक ऐतिहासिक साहित्यिक घटना है। आज उनकी पुण्यतिथि पर हम उन्हें नमन करते है।
(इस दुर्लभ चित्र में राष्ट्रीय कवि रामधारी सिंह दिनकर, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व कवि श्रीराम शर्मा ‘प्रेम’, सोम ठाकुर, बालकवि बैरागी, डॉ. पार्थ सारथि डबराल आदि मौजूद।)
https://www.bolpahadi.in/2020/04/blog-post-jab-dehradun-aaye-the-rashtriya-kavi-dinkar.html
 
लेखक डॉ. अतुल शर्मा जाने माने जनकवि व साहित्यकार हैं। 
फोटो स्रोत- ‘अग्नि पुरुष’ पुस्तक से

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button