Year: 2010
चौंठी भुक्कि (गढ़वाली कविता)
छौं मि ये ही मुल्क कु, भुलिग्यों यख कि माया भुलिग्यों वा चौंठी भुक्कि, कोख जैंन मि खिलाया कन नचदा…
Read More »दारु
दारु !पगळीं च बगणि चडांडी कांठ्यों धरु-धरुपीड़ बिसरौण कुमाथमि, द्यब्तौं सि सारु गंगा उंद बगदीदारु उबां-उबां टपदीपैलि अंज्वाळ् अदुड़ि/फेर, पव्वा…
Read More »सौदेर
माया का सौदेर छां हमइन्कलाब जिन्दाबादबैर्यों बग्तौ चेति जावानिथर होण मुर्दाबाद कथगै अंधेरू होलुहम उज्याळु कैद्योंलाभाना कि बिंदुलि मागैणौं तैं…
Read More »-
गढ़वाली-कविता
फेक्वाळ् (गढ़वाली कविता)
भुयां खुट्ट धन्नौ जगा नि अंरोंगु कखि छोड़युं नि संगति फैल्यान् सेमा सि फेक्वाळ् धुर्पळा कि पठाळी उठा चौक का…
Read More » कौन डरता है खंडूरीराज से ?
क्या भविष्य में भी भारतीय जनता पार्टी पूर्व मुख्यमंत्री रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल भुवनचंद्र खंडूरी के नेतृत्व में दुबारा चुनाव के…
Read More »सिखै (गढ़वाली कविता)
सिहमरा बीच बजारदुकानि खोलीभैजी अर भुलाब्वन्न सिखीगेन मिदेळी भैर जैकिभैजी अर भुलाब्वन्न माशर्माणूं सिखीग्यों Copyright@ Dhanesh Kothari
Read More »-
गढ़वाली-कविता
पण कब तलक (गढ़वाली कविता)
मेरा बिजाल्यां बीज अंगर्ला सार-खार मेरि भम्मकली गोसी कबि मेरु भुक्कि नि जालू कोठार, दबलौं कि टुटलि टक्क पण, कब…
Read More » -
गढ़वाली-कविता
बाघ
बाघगौं मा जंगळुं मा मनखि ढुक्यां छन रात-दिन डन्ना छन घौर-बौण द्वी लुछणान् एक हैंका से आज-भोळ अपणा घौरूं मा ज्यूंद रौण कू संघर्ष आखिर कब…
Read More »