Month: August 2010
भैजी !!
कंप्यूटर पर न खुज्यावा पहाड़ थैं पहाड़ ऐकि देखिल्यावा पहाड़ थैं सुबेर ह्वेगे, कविलासूं बटि गुठ्यार तक खगटाणिन् तब्बि दंतुड़ी,…
Read More »र्स्वग च मेरू पहाड़ (गढवाली कविता)
गौं मा पाणि नि पाणि नि त मंगरा नि मंगरा नि त धैन-चैन नि धैन-चैन नि त धाण नि धाण…
Read More »घौर औणू छौं (गढवाली कविता)
उत्तराखण्ड जग्वाळ रै मैं घौर औणू छौं परदेस मा अबारि बि मि त्वे समळौणू छौं दनकी कि ऐगे छौ मि…
Read More »हिकमत न छोड़ (गढवाली कविता)
थौ बिसौण कू चा उंदारि उंद दौड़ उकाळ उकळं कि तब्बि हिकमत न छोड़ तिन जाणै जा कखि उंड-फंडु चलि…
Read More »सुबेर होण ई च (गढवाली कविता)
अन्धेरा तू जाग्यूं रौ, भोळ त सुबेर होण ई च। सेक्की तेरि तब तलक, राज तिन ख्वोण ई च॥ आज…
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गढ़वाली-कविता
बिगास (गढवाली कविता)
ब्वै का सौं ब्याळी ही अड़ेथेल छौ मिन् तुमारा गौं खुणि बिगास परसी त ऐ छा मैंमु तुमारा मुल्क का…
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गढ़वाली-कविता
बोली-भाषा (गढवाली कविता)
नवाणैं सि स्याणि छौं गुणदारौं कू गाणि छौं बरखा कि बत्वाणी छौं मंगरौं कू पाणि छौं निसक्का कि ताणि छौं…
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