संस्कृति
-
गढ़वाल: इस गांव में आज भी निभाई जा रही मामा पौणा की परंपरा
• शीशपाल गुसाईं Mama Pauna Tradition : सदियों से चली आ रही मामा पौणा (मामा मेहमान) की प्रथा नरेंद्रनगर ब्लॉक…
Read More » -
45 बर्षों के बाद निकलेगी मां अनुसूया की देवरा यात्रा
– दशहरे के दिन से होगी देवरा यात्रा की शुरूआत रजपाल बिष्ट // जनपद चमोली की मंडल घाटी में पुत्रदायिनी…
Read More » -
पहाड़ के लोकजीवन में रची बसी रोपणी
संजय चौहान // पहाड़ के लोकजीवन मे अषाड़ महीने का सदियों से गहरा नाता रहा…
Read More » -
जब दहकते अंगारो के बीच नाचते हैं जाख देवता
रूद्रप्रयाग जनपद के गुप्तकाशी क्षेत्र के अन्तर्गत देवशाल गांव में चौदह गांवों के मध्य स्थापित जाखराजा मंदिर में प्रतिवर्ष बैशाख…
Read More » -
फिर जीवंत हुई ‘सयेल’ की परंपरा
हरियाली पर्व ‘हरेला’ की तरह पहाड़ के लोकजीवन में धान की रोपाई के दौरान निभाई जाने वाली ‘सयेल’ की परंपरा…
Read More » -
… जिसकी जागर सुन, बरस जाते हैं बादल
उत्तराखंड को लोक और उसकी संस्कृति अपनी आगोश में अब भी काफी कुछ अनकहा, अनछुए पहलुओं को छुपाए हुए है. इन्हीं…
Read More » -
सिल्वर स्क्रीन पर उभरीं अवैध खनन की परतें
फिल्म समीक्षा गढ़वाली फीचर फिल्म उत्तराखंड में ‘अवैध खनन’ सिर्फ राजनीतिक मुद्दा भर नहीं है। बल्कि, यह पहाड़ों, नदियों, गाड-गदेरों…
Read More » -
पुष्कर की ‘मशकबीन’ पर ‘लोक’ की धुन
चेहरे पर हल्की सफ़ेद दाढ़ी… पहाड़ी व्यक्तित्व और शान को चरितार्थ करती हुई सुंदर सी मूछें… सिर पर गौरवान्वित महसूस…
Read More » -
देवतुल्य हैं ढोल दमौऊं
पहाड़ी लोकवाद्य ढोल दमौऊं को देवतुल्य माना गया है। दुनिया का यही एकमात्र वाद्य है जिसमें देवताओं को भी अवतरित…
Read More »