हिन्दी-कविता
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शब्द हैं…
पहरों में कुंठित नहीं होते शब्द मुखर होते हैं गुंगे नहीं हैं वे बोलते हैं शुन्य का भेद खोलते हैं उनके…
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सांत्वना (हिन्दी कविता)
दो पीढ़ियों का इन्तजारआयेगा कोईसमझायेगा किउनके आ जाने तक भीनहीं आया था विकासगांव वाले रास्ते के मुहाने पर तुम्हारी आसटुटी…
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पहाड़ (हिन्दी कविता)
मेरे दरकने परतुम्हारा चिन्तित होना वाजिब है अब तुम्हें नजर आ रहा हैमेरे साथ अपना दरकता भविष्यलेकिन मेरे दोस्त! देर…
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गिर्दा !! (हिन्दी कविता)
गिर्दा तुम याद आओगे जब भी लाट साहबों के फ़रमान मानवीयता की हदें तोड़ेंगे जब भी दरकेंगे समाज किसी परियोजना…
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युद्ध में पहाड़ (गढवाली कविता)
मेरे देश का सैनिक पहाड़ था पहाड़ है टूट सकता है झुक नहीं सकता उसकी अभिव्यक्ति/ उसकी भक्ति उसका साहस/…
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