हिन्दी-कविता
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सांत्वना (हिन्दी कविता)
दो पीढ़ियों का इन्तजारआयेगा कोईसमझायेगा किउनके आ जाने तक भीनहीं आया था विकासगांव वाले रास्ते के मुहाने पर तुम्हारी आसटुटी…
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पहाड़ (हिन्दी कविता)
मेरे दरकने परतुम्हारा चिन्तित होना वाजिब है अब तुम्हें नजर आ रहा हैमेरे साथ अपना दरकता भविष्यलेकिन मेरे दोस्त! देर…
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गिर्दा !! (हिन्दी कविता)
गिर्दा तुम याद आओगे जब भी लाट साहबों के फ़रमान मानवीयता की हदें तोड़ेंगे जब भी दरकेंगे समाज किसी परियोजना…
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युद्ध में पहाड़ (गढवाली कविता)
मेरे देश का सैनिक पहाड़ था पहाड़ है टूट सकता है झुक नहीं सकता उसकी अभिव्यक्ति/ उसकी भक्ति उसका साहस/…
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मुट्ठियों को तान दो
मुट्ठियां भींचो मगर मुट्ठियों में लावा भरकर मुट्ठियों को तान दो दुर व्यवस्था के खिलाफ़ इस हवा को रूद्ध कर…
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आवाज
तुम्हारे शब्द मेरे शब्दों से मिलते हैं हमारा मौन टुटता नजर भी आता है वो तानाशाह है हमारी देहरी पर…
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बसन्त (हिंदी कविता)
बसन्त हर बार चले आते हो ह्यूंद की ठिणी से निकल गुनगुने माघ में बुराँस सा सुर्ख होकर बसन्त दूर…
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नन्हें पौधे (हिंदी कविता)
प्लास्टिक की थैलियों में उगे नन्हें पौधे आपकी तरह ही युवा होना चाहते हैं दशकों के बाद बुढ़ा जाने की…
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