हिन्दी-कविता
युद्ध में पहाड़ (गढवाली कविता)
मेरे देश का सैनिक
पहाड़ था पहाड़ है
टूट सकता है
झुक नहीं सकता
उसकी अभिव्यक्ति/ उसकी भक्ति
उसका साहस/ उसकी शक्ति
उसकी वीरता/ उसका शौर्य
उसका कौशल/ उसका धैर्य
और प्ररेणा भी पहाड़ है
बैरी के समक्ष
एक और समान्तर पहाड़
रंचने को तत्पर वह
उसको आत्म बलिदान का सबक
पूर्वजों ने घुट्टी में ही दिया था
राष्ट्र के लिए
मर मिटने का अर्न्तभाव
रक्त कणिकाओं में अकुलाहट
युद्ध के समय
मनस्वाग बना डालती हैं उसे
फिर कैसे
झुटला सकते हो
विरासत की अन्त: प्रेरणा को
आज वह पहाड़ बना है
तो, राष्ट्रीय धमनियों का
कतरा-कतरा भी
पहाड़ बनने का आह्वान करता है
Copyright@ Dhanesh Kothari