गढ़वाली-कविता
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गोर ह्वेग्यो हम
जैकि मरजि जनै आणी, वु उनै लठ्याणूं छ जैकि गौं जनै आणी, वु उनै हकाणू छ ज्वी जनै पैटाणू छ,…
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जै दिन
जै दिन मेरा गोरू तेरि सग्वाड़यों, तेरि पुंगड़यों उजाड़ खै जाला जै दिन झालू कि काखड़ी चोरे जालि जै दिन…
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सर्ग दिदा
सर्ग दिदा पाणि पाणि हमरि विपदा तिन क्य जाणि रात रड़िन् डांडा-कांठा दिन बौगिन् हमरि गाणि उंदार दनकि आज-भोळ उकाळ…
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सिखै
सिहमरा बीच बजार दुकानि खोलि भैजी अर भुल्ला ब्वन्न सिखीगेन मिदेळी भैर जैक भैजी अर भुल्ला व्वन्न मा सर्माणूं सिखीग्यों…
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सांसू त् भ्वोर
बिसगणि बिसैकि सै उकळी जैलि उकाळ एक न एक दिन सांसू त् भ्वोर जाग मा च मयेड़ बैठीं देळी मा…
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हाइकू
1 बोगठ्या काळू हो चा गोरु दोष नि मिटण त् क्य फैदू 2 पळ्नथरा ढुंगौं पर बि पळ्येक खुंडा होणान्…
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हाइकू
१ दूध्याळूं थैं दूद नि अर गणेश- गंडेळ होणान् २ भग्यान खै नि जाणनान् अभागी ब्वन्नु मैं बि भग्यान होंदू…
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कब टूटलि जग्वाळ…
जुग जन्मूं बिटि छै जग्वाळ ऐंसू आलि बग्वाळ, त म्यरा घौर बोण, गौं गुठ्यार, मुल्क देश बळै जाला रांका, छिल्ला…
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