गढ़वाली-कविता
घौर औणू छौं (गढवाली कविता)
उत्तराखण्ड जग्वाळ रै मैं घौर औणू छौं परदेस मा अबारि बि मि त्वे समळौणू छौं दनकी कि ऐगे छौ मि…
Read More »हिकमत न छोड़ (गढवाली कविता)
थौ बिसौण कू चा उंदारि उंद दौड़ उकाळ उकळं कि तब्बि हिकमत न छोड़ तिन जाणै जा कखि उंड-फंडु चलि…
Read More »सुबेर होण ई च (गढवाली कविता)
अन्धेरा तू जाग्यूं रौ, भोळ त सुबेर होण ई च। सेक्की तेरि तब तलक, राज तिन ख्वोण ई च॥ आज…
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बिगास (गढवाली कविता)
ब्वै का सौं ब्याळी ही अड़ेथेल छौ मिन् तुमारा गौं खुणि बिगास परसी त ऐ छा मैंमु तुमारा मुल्क का…
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बोली-भाषा (गढवाली कविता)
नवाणैं सि स्याणि छौं गुणदारौं कू गाणि छौं बरखा कि बत्वाणी छौं मंगरौं कू पाणि छौं निसक्का कि ताणि छौं…
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