हिन्दी-कविता
शब्द हैं… (हिन्दी कविता)
पहरों मेंकुंठित नहीं होते शब्दमुखर होते हैंगुंगे नहीं हैं वेबोलते हैंशुन्य का भेद खोलते हैं उनके काले चेहरेसफ़ेद दुधली धुप में…
Read More »सांत्वना (हिन्दी कविता)
दो पीढ़ियों का इन्तजारआयेगा कोईसमझायेगा किउनके आ जाने तक भीनहीं आया था विकासगांव वाले रास्ते के मुहाने पर तुम्हारी आसटुटी…
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पहाड़ (हिन्दी कविता)
मेरे दरकने परतुम्हारा चिन्तित होना वाजिब है अब तुम्हें नजर आ रहा हैमेरे साथ अपना दरकता भविष्यलेकिन मेरे दोस्त! देर…
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गिर्दा !! (हिन्दी कविता)
गिर्दा तुम याद आओगे जब भी लाट साहबों के फ़रमान मानवीयता की हदें तोड़ेंगे जब भी दरकेंगे समाज किसी परियोजना…
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युद्ध में पहाड़ (हिन्दी कविता)
मेरे देश का सैनिकपहाड़ था पहाड़ हैटूट सकता हैझुक नहीं सकता उसकी अभिव्यक्ति, उसकी भक्तिउसका साहस, उसकी शक्तिउसकी वीरता, उसका…
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