हिन्दी-कविता
मुट्ठियों को तान दो (हिन्दी कविता)
मुट्ठियां भींचो मगरमुट्ठियों में लावा भरकरमुट्ठियों को तान दो दुर व्यवस्था के खिलाफ़इस हवा को रूद्ध कर दोमुट्ठियां विरूद्ध कर…
Read More »आवाज (हिन्दी कविता)
तुम्हारे शब्दमेरे शब्दों से मिलते हैंहमारा मौन टुटतानजर भी आता हैवो तानाशाह हैहमारी देहरी परहम अपनी मांद से निकलेंतो बात…
Read More »बसन्त (हिंदी कविता)
बसन्त हर बार चले आते हो ह्यूंद की ठिणी से निकल गुनगुने माघ में बुराँस सा सुर्ख होकर बसन्त दूर…
Read More »नन्हें पौधे (हिंदी कविता)
प्लास्टिक की थैलियों में उगे नन्हें पौधे आपकी तरह ही युवा होना चाहते हैं दशकों के बाद बुढ़ा जाने की…
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