साहित्य

  • हां.. तुम जीत जाओगे

    हां.. निश्चित हीतुम जीत जाओगेक्योंकि तुम जानते होजीतने का फनसाम, दाम, दंड, भेद तुम्हें सिर्फ जीत चाहिएएक अदद कुर्सी के लिएजिसके…

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  • हाइकू

    खारु छौं न खरोळ भितर आग च कॉपीराइट- धनेश कोठारी

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  • सर्ग दिदा

    सर्ग दिदा पाणि पाणि हमरि विपदा तिन क्य जाणि रात रड़िन्‌ डांडा-कांठा दिन बौगिन्‌ हमरि गाणि उंदार दनकि आज-भोळ उकाळ…

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  • बसंत

    लो फिर आ गया बसंतअपनी मुखड़ी में मौल्‍यार लेकरचाहता था मैं भीअन्‍वार बदले मेरी मेरे ढहते पाखों मेंजम जाएं कुछ…

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  • सिखै

    सिहमरा बीच बजार दुकानि खोलि भैजी अर भुल्‍ला ब्‍वन्‍न सिखीगेन मिदेळी भैर जैक भैजी अर भुल्‍ला व्‍वन्‍न मा सर्माणूं सिखीग्‍यों…

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  • तेरा गौं औऊ जब बिटि (गढ़वाली कविता)

    हेमवतीनंदन भट्ट ‘हेमू’ का लिखा और गया गया एक कर्णप्रिय गढ़वाली गीत http://www.4shared.com/mp3/1LIWPoxT/TERU_GAUN_AUNU_JAB_.html

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  • तय मानो

    तय मानोंदेश लुटेगाबार-बार, हरबार लुटेगातब-तब, जब तक खड़े रहोगे चुनाव के दिनअंधों की कतारों मेंसमझते रहोगे-ह्वां- ह्वां करतेसियारों के क्रंदन…

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  • बाबा केदार के दरबार में

    जगमोहन ‘आज़ाद’//  खुद के दुखों का पिटारा लेखुशीयां समेटने गए थे वो सबजो अब नहीं है…साथ हमारे,बाबा केदार के दरबार में…

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  • क्या फर्क पड़ता है

    ये इतनी लाशेंकिस की हैंक्यों बिखरी पड़ी हैंये बच्चा किसका हैमां को क्यों खोज रहा है….मां मां चिलाते हुएदूर उस…

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  • मैं, इंतजार में हूं

    मैं, समझ गया हूंतुम भी, समझ चुके हो शायदमगर, एक तीसरा आदमी हैजो, चौथे और पांचवे के –बहकावे में आ…

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