साहित्य
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हां.. तुम जीत जाओगे
हां.. निश्चित ही तुम जीत जाओगे क्योंकि तुम जानते हो जीतने का फन साम, दाम, दंड, भेद तुम्हें सिर्फ जीत…
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सर्ग दिदा
सर्ग दिदा पाणि पाणि हमरि विपदा तिन क्य जाणि रात रड़िन् डांडा-कांठा दिन बौगिन् हमरि गाणि उंदार दनकि आज-भोळ उकाळ…
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बसंत
लो फिर आ गया बसंत अपनी मुखड़ी में मौल्यार लेकर चाहता था मैं भी अन्वार बदले मेरी मेरे ढहते पाखों…
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सिखै
सिहमरा बीच बजार दुकानि खोलि भैजी अर भुल्ला ब्वन्न सिखीगेन मिदेळी भैर जैक भैजी अर भुल्ला व्वन्न मा सर्माणूं सिखीग्यों…
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तेरा गौं औऊ जब बिटि (गढ़वाली कविता)
हेमवतीनंदन भट्ट ‘हेमू’ का लिखा और गया गया एक कर्णप्रिय गढ़वाली गीत http://www.4shared.com/mp3/1LIWPoxT/TERU_GAUN_AUNU_JAB_.html
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तय मानो
तय मानों देश लुटेगा बार-बार, हरबार लुटेगा तब-तब, जब तक खड़े रहोगे चुनाव के दिन अंधों की कतारों में समझते…
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बाबा केदार के दरबार में
जगमोहन ‘आज़ाद‘// खुद के दुखों का पिटारा ले खुशीयां समेटने गए थे वो सब जो अब नहीं है…साथ हमारे,बाबा केदार के…
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क्या फर्क पड़ता है
ये इतनी लाशें किस की हैं क्यों बिखरी पड़ी हैं ये बच्चा किसका है मां को क्यों खोज रहा है….मां…
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मैं, इंतजार में हूं
मैं, समझ गया हूं तुम भी, समझ चुके हो शायद मगर, एक तीसरा आदमी है जो, चौथे और पांचवे के…
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