हिन्दी-कविता

बेटियां

कई बार देखा
बेटियों को बेटा बनते हुए
मगर, बेटे
हर बार बेटे ही बने देखे

इसलिए

जोर देकर कहूंगा
बेटियां तो बेटियांही होती हैं
बेटा बन गए, तो
क्‍या मालूम
फिर पीछे मुड़कर देखें न देखें….।

सर्वाधिकार- धनेश कोठारी

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2 Comments

  1. कमेंट के लिए आभार, एक लेखक के लिए सराहना के ये शब्‍द ऊर्जा का काम करते हैं

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