फेसबुक अकौंट औफ ब्वाडा … (व्यंग्य)
यस. के थपल्याल ’घंजीर’ / /
हे वै निरबै दलेदरा! निगुसैंकरा तु मेरू फीसबुक अकौंट किलै नि खोलणु छै रै… कन बिजोक प्वाड़ रै.. त्वे उंद?
ब्वाडा फेसबुक मड़घट मा चलौण कि तिन? किलै ह्वे तेरी मति भ्रष्ट?
कनु रै, दांत निखुलिगीं पर जीब त् बचीं च.. सिरि फट्टी चपै नि सकदू पर तरी त् पे सकदू… उल्लोपठ्ठा फीसबुकै सबसे जादा जरोरत हम बुढ्यों तैं हि च्। हमुन टैम पास कन मा कन रै? वेमा अपंणा चखुला घुघता दिखे जंदिन बल… कुसगोर्या मीथै मेरी कूड़ी की खुद लगीं च… डांडीयूं की, कुयेड़ी की, गौड़ि भैंसींयू की खुद लगीं च… सबि छन बल वे फेसबुक मा। बदक्वट्या दलेदरा य्हा रयां सयां दिन कटे जाला छुचा… अर तरबुर तरबुर ब्वाडै आंख्यू मा छुंया फुटगीं।
ब्वाडा तुमरा ’फेस’ फर त मूंजा पोड़गीं… अर वख चिफलपट फोटू लगौण प्वड़द… तब जै की फ्रेंडस मिलदीं।
हब्बै मुजको लाटा चिता रा है क्या?.. मि देवानंदै फोटु लगै द्योंलु… कौन से लोग अपंणि औरिजनल थुंथरी लगंदन?
ब्वाडा इस्माट मुबैल फून चलांणु बि जंणदौ?
हब्बै, फौज मा मेरा इन इना ट्रक चलयां छीं कि चकड़ेता त्वे क्य पता! यु डबल रव्टी सि मुबैल चलांणु क्य चीज च् मीकू.. चल म्यारू नौ लेख जरा…जैकी!
पर तुमरू नौ त ’जै भगबान कीचवान’ चा।
आं भै, मीथै न पढा.. फेसबुक हि च् ना… क्वी फेथबुक नीछ्… चल निपल्टु हो यख मा बटि… अपणा नाति मा खुलौंलु, वेन इतगा जांच पूछ नि कनि!!!