गढ़वाली-कविता
फेक्वाळ् (गढ़वाली कविता)
भुयां खुट्ट धन्नौ जगा नि
अंरोंगु कखि छोड़युं नि
संगति फैल्यान्
सेमा सि फेक्वाळ्
धुर्पळा कि पठाळी उठा
चौक का तीर जा
तिबारि मा
ह्यूंदौ घाम तपदु
रात्यों हुंगरा लगान्द देखा
खालि जांद्रा घुमौन्दु
बांजा घट्टुं भग्वाड़ि मंगदु
खर्ड़ी डाल्यों छैल घाम तपदु
रीता उर्ख्याळौं कुटद
गंज्याळु सी देखा
चम्म सुलार कुर्ता
ट्वपली मा
मंगत्यों कि टोल
बर्खदा बसग्याळ्
छुमछ्योंदा अकाळ्
दिल्ली का दिलन्
देरादुण कु पैसा
लुटौंदु देखा
संगति फैल्यान्…
Source : Jyundal (A Collection of Garhwali Poems)
Copyright@ Dhanesh Kothari