गढ़वाली-कविता
गैळ बळद (गढ़वाली कविता)
आशीष सुंदरियाल//
जब बटे हमरु गैळ बळ्द
फेसबुक फर फेमस ह्वे
तब बटि
वो बळ्द/ बळ्द नि रै
सेलिब्रिटी बणिगे
अर मि
वेकु सबसे बड़ु फैन
उन्त सिर्फ मि ना
सर्या दुन्या आज वेकी फैन च
तबि त
वे दगड़ सेल्फी खिचाण वळों की
इतगा लम्बी लैन च
लोग पागल हुयां छन वेका बान
हर क्वी कनू च वेको गुणगान
लाइक कमेंट शेयर कना छन
लोग धड़ाधड़
क्वी दिल चिपकाणू च
क्वी अंगुठा दिखाणू च
क्वी वे तैं अपणि गौड़ी कु बोड़
त क्वी वे तैं
अपणि बाछी कु बुबा बताणू च
जैको ब्याळी तक क्वी कामकाज नि छौ
वो आज ये बळ्दै कान्ध कन्याणू च
चैनल वळा
हमारि छानि बटे लाइव प्रसारण कना छन
अर
वेका बारम् इनि- इनि बात ब्वना छन
जो मि तैं भि नि छन पता
जो जनम बटे छौं वे तैं घुळाणू
ठ्यली-ठ्यलि कै एक फांगी बवाणू
पर
अब टी.वी. मा ऐगे
त
मि तैं भि वी ब्वन प्वड़णू च
कि
जब बटे
हमरु गैळ बळ्द
फेसबुक फर फेमस ह्वे
तब बटि
वो बळ्द/ बळ्द नि रै..
आशीष सुंदरियाल//
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (22-10-2019) को " सभ्यता के प्रतीक मिट्टी के दीप" (चर्चा अंक- 3496) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।सादर…!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
गैळ बुल्दों कु हि जमनु च आज
बहोत खूब!