संस्कृति
गढ़वाळी औखाणा (कहावतें) 01
Garhwali proverbs and sayings
गढ़वाळी औखाणा (कहावतें)
जांदि दा क्यण पुछण औंदि दां पुछलू
बैर्यो बाछरु बल पिजायां सुख
घुटदौं त गिच्चू अर थुक्दौं त अखर्त जांदू
खाणू बल गुड अर बतौण पिन्ना
दाना गोरु क्यर देखण बल सींग अर खूर
सुंगरौ पोथलू बल खारै पाण
गल्ला न पल्ला अर द्वी ब्यौर कर्ला
बड़ा बैरि कू बल बड़ू मान
हुणत्यारळी डाळी का चल चला पात
रांडूं का ह्वेन पांजा अर गौं पड़ीन बांजा
ढुंगा ही कुंगळा होंदा त क्यं सयाळ भूख मर्दा
नौ मण बल नंदू कौंका खौन्
अर ऊंका छांछ मांगणौ जौन
तू बल ठगणि कू ठग अर मैं जाति कू ठग
घूंड-घूंडो फूकेग्यों पण कुल्डा्ण नि आई
ओबरा अड़ायां बल पांडा का सट्ट
जख बल सौ सल्लील वख कबि नि भल्ली
मुंड्डौ नौ बल कपाल
सर्री ढ्यबरी बल मुंडी मांडी अर पुछै दां लराट
अंध्यारै कि मार बल खबर ना सार
आप घोड़ी न बाप घोड़ी बिराणि घोड़ीन् दांत तोड़ी
खायूं पेयूं तन रीझू अर देयूं लेयूं संगति मा जावू
ब्वैं बाबूं क बिगाड़्यां नौ अर चकड़ैतूं का खोयां गौं सुधर्दा निन
सिल्लूप खोवू हैंकै मौ अर तैलू खोवू अपणि
दोण नि सकदों बल बिश्वा सकदौं
अफ्फू चौड़ा बजार सांगड़ा
का बुबा बल रिक्क न् खार्इ वू काळा खुंडगा देखि बि डौरु
कागा कक्ड़ांदी रौ अर पिन्ना पकदी रौ
कागा खाऊ त खाऊ निथर बिक्ख़ त बढ़ाऊ
जोगी भागि बल हग्ण बिटी
सौ गिच्चात अर एक किस्सा
दाणि दाणि कै रास अर डाल्ली-डाल्ली कै घास
टोप्ला टळळू जन कना बचण से मन्नु भलू
अभागी ल्हिगे बल बाग अर भग्यानूं पडि़ जाग
खा पौंणा घौर कि छौंदी
मंगत्यों गै बल मान अर फगत्यों गै दान
अति उछड़ू भतेड़ी क पड़ू
स्रोत- बुढ़ पुराणौं से सुणि अर अन्य् माध्यदमूं से संकलित
संकलनकर्ता – धनेश कोठारी,
गढ़वाळी औखाणा (कहावतें)
जांदि दा क्यण पुछण औंदि दां पुछलू
बैर्यो बाछरु बल पिजायां सुख
घुटदौं त गिच्चू अर थुक्दौं त अखर्त जांदू
खाणू बल गुड अर बतौण पिन्ना
दाना गोरु क्यर देखण बल सींग अर खूर
सुंगरौ पोथलू बल खारै पाण
गल्ला न पल्ला अर द्वी ब्यौर कर्ला
बड़ा बैरि कू बल बड़ू मान
हुणत्यारळी डाळी का चल चला पात
रांडूं का ह्वेन पांजा अर गौं पड़ीन बांजा
ढुंगा ही कुंगळा होंदा त क्यं सयाळ भूख मर्दा
नौ मण बल नंदू कौंका खौन्
अर ऊंका छांछ मांगणौ जौन
तू बल ठगणि कू ठग अर मैं जाति कू ठग
घूंड-घूंडो फूकेग्यों पण कुल्डा्ण नि आई
ओबरा अड़ायां बल पांडा का सट्ट
जख बल सौ सल्लील वख कबि नि भल्ली
मुंड्डौ नौ बल कपाल
सर्री ढ्यबरी बल मुंडी मांडी अर पुछै दां लराट
अंध्यारै कि मार बल खबर ना सार
आप घोड़ी न बाप घोड़ी बिराणि घोड़ीन् दांत तोड़ी
खायूं पेयूं तन रीझू अर देयूं लेयूं संगति मा जावू
ब्वैं बाबूं क बिगाड़्यां नौ अर चकड़ैतूं का खोयां गौं सुधर्दा निन
सिल्लूप खोवू हैंकै मौ अर तैलू खोवू अपणि
दोण नि सकदों बल बिश्वा सकदौं
अफ्फू चौड़ा बजार सांगड़ा
का बुबा बल रिक्क न् खार्इ वू काळा खुंडगा देखि बि डौरु
कागा कक्ड़ांदी रौ अर पिन्ना पकदी रौ
कागा खाऊ त खाऊ निथर बिक्ख़ त बढ़ाऊ
जोगी भागि बल हग्ण बिटी
सौ गिच्चात अर एक किस्सा
दाणि दाणि कै रास अर डाल्ली-डाल्ली कै घास
टोप्ला टळळू जन कना बचण से मन्नु भलू
अभागी ल्हिगे बल बाग अर भग्यानूं पडि़ जाग
खा पौंणा घौर कि छौंदी
मंगत्यों गै बल मान अर फगत्यों गै दान
अति उछड़ू भतेड़ी क पड़ू
स्रोत- बुढ़ पुराणौं से सुणि अर अन्य् माध्यदमूं से संकलित
संकलनकर्ता – धनेश कोठारी,