रणरौत : एक धार्मिक लोक जागर (गीत)
RanRaut is very famous Legendary Song of Rawat Community . As poem, the poem contains all raptures except Adhorence in ful sense . The readers will enjoy the figures of speeches, proverbs, and many old -new phrases
सिरीनगर रंद छयो राजा प्रीताम शाही
कुलावली कोट मा रंद रौतु औलाद
हिंवां रौत को छयो भिंवा रौत
भिंवा रौत को छयो रणु रौत
रणु रौत होलू मालू मा को माल
जैको डबराळया माथो छ , खंखराल्य़ा जोंखा
घूंडों पौंछदी भुजा छन जोधा की
मुन्गर्याळी फीलि छन मेरा मरदो
माल मा दूण रांजड़ा ऐन
तौन कांगली सिरीनगर भेज्याली
रूखा रुखा बोल लेख्या तीखा लेख्या स्वाल
बोला बोला मेरा कछडि का ज्वानू
मेरा राज पर कैन त यो धावा बोले
मेरा गढवाल मा कु इनु माल होलू
जु भैर का मालू तै जीतिक लालू
तबरेक उठीक बोलदू छीलू भिम्ल्या
यी तरैं को माल होलू कुलवाली कोट
हिंवां रौत न तलवार मारे
रणु रौत मी तलवार मारलो
रणु रौत होलू तलवार्या जवान
जैका मारख्वल्य़ा छन बेला
जैका चौसिंग्या खाडू होला, खोळया होला कुत्ता
कुलवाली कोट को वो रणुरौत
मेरो भाणजा मालू साधिक लालो
प्रीतम साही मराज तब कांगली लेखद
हे बुबा रणु रौत तू होल्यु बांको भड़
भात खाई तख हात धोई यख
जामो पैरी तख तणि बाँधी यख
कागली पौंचीगे रौत का पास
तब बांचद कांगली रौत
शेर जसा मोछ छ्या रौत का
तैका मणि का मान धड़कन लै गेन
तैकू हात की मुसळी बबल़ाण लै गेन
कंड़ीळ बंश का कांडो जजराँद
निरकुलो पाणि डाली सि हिरांद
तब धाई लगान्द रणु राणी भिमला
मै त जान्दो राणी सैणि माल दूण
मेरा वास्ता पकौ निरपाणि खीर
राणी भिमला तब कुमजुल्या ह्व़ेगे
नई नई मया छे ऊंकी जवानी की ,
नयो नयो ब्यो छो
राणी भीमला ड़ाळी सि अळस्येगे
छोड़दी पयणा नेतर रांग सा बुंद
मै जोडिक स्वामी तुम जुद्ध को पैटयां
सुमरदो तब रौत देवी झाली माली
ढेबरा लुक्दा बखरा लुक्दा
मर्द कबि नि रुकदा शेर कबि नि डरदा
लुवा जंगी जामा पैरण लैग्या
सैणा सिरीनगर ऐ गे रणु
जैदेऊ माल्यान गरदनी मालिक
हे रौर आज जैदेऊ त्वेक च बुबा
तू छे मेरा रणु मालू मा को माल
त्वेन मारणान ल्वे चटा माल
राजा क आज्ञा लेक रौत चलीगे
माल को दूण कुई माल बोदा
ये त ऐ चखुनी चूंडला आंगुळी मारला
तब छेत्रो को हंकार चढ़े रौत
मारे तैंन मछुली सी उफाट
छोड़े उडाल तलवार
तैंन मुंडू का चौंरा लगै न
तैंन खूनन घट रिंगेन मरदो
तै माई मरदु का चेलान मरदो
सि केल़ा सि कचेन गिदुडु सि फाडिन
बैरी को नौ रखे ऋणना
For Part II , Please refer Dr Govind Chatak , Gahdwal Ki Lok Kathayen pg 209
Or Dr Shivanand Nautiyal, garhwal ke Loknrity Geet , pg 171
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