भांग की खेती के हैं कई फायदे

उत्तराखंड की पूर्ववर्ती सरकार ने कारोबारी तौर पर भांग की खेती के लिए कदम उठाए ही थे, कि भद्रजनों और नारकोटिक्स सरीखे विभागों ने कदम उठाने से पहले ही उसके आगे रोड़े ही नहीं, बल्कि एसिड बिखेर दिया। भांग जैसे लाभकारी पौधे को राक्षस नाम दिया जा रहा है। किसी की समझ में नहीं आ रहा है कि जिनको नशा ही करना है उन्हें खेत के भांग की आवश्यकता नहीं होती है। जूं के डर से कपड़े पहनना बंद नहीं किया जाता। वैसे ही नशा व्यापार के डर से भांग उगाने की नीति बंद नहीं की जानी चाहिए। मनुष्य सभ्यता में भांग की खेती पुरातन खेतियों में से एक है। सवाल यह है कि किस तरह भांग का औद्योगिक उत्पादन किया जाए, ताकि आर्थिक क्रान्ति आ सके। एक समय 18वीं सदी में काशीपुर में ईस्ट इंडिया कंपनी की फैक्ट्री के कारण पहाड़ों में भांग खेती में वृद्धि हुई थी। लिहाजा, भांग को निर्यात माध्यम समझकर ही इसे अपनाया जाना चाहिए।
भांग की खेती अनेक लाभ
पर्यावरण संबंधी लाभ
• भांग कोयला का सर्वोत्तम पर्याय है और इसकी जैविक ईंधन क्षमता कोयले से कहीं अधिक है।
• उत्तराखंड में अंग्रेजों के आने से पहले भांग उत्तम रेशों के लिए बोया जाता था।
• भांग से उत्तम कागज बनता था और आज भी कागज उद्योग को संबल दे सकता है।
• एक एकड़ में बोये जाना वाला भांग 20 सालों में उतना पेपर पल्प दे सकता है, जितना 4.1 एकड़ में उगे पेड़।
• भांग से बनने वाले कागज में डॉक्सिन युक्त क्लोरीन ब्लीच और वृक्ष पल्प के मुकाबले भांग कागज निर्माण में 75 प्रतिशत कम सल्फ्यूरिक एसिड की आवश्यकता होती है।
• भांग से बना कागज 7-8 बार रिसाइकल हो सकता है। जब कि वृक्ष के पल्प से बनाया जाने वाले कागज को केवल तीन बार तक रिसाइकल किया जा सकता है।
• भांग से कागज बनाने से जंगल कटान में कमी लाई जा सकती है।
• भांग के रेशे किसी भी प्राकृतिक रेशों में ताकतवर व कोमल रेशे हैं।
• भांग की उत्पादन शक्ति रुई से अधिक है। एक एकड़ में भांग के रेशे रुई से दो से तीन गुना अधिक रेशे पैदा होते हैं।
• वैसे भांग के कपड़े रुई से अधिक गर्म व अधिक समय तक उपयोगी कपड़े होते हैं।
• भांग की रस्से नायलोन की रस्सी के मुकाबले अधिक लाभकारी व उपयुक्त होते हैं।
• भांग कृषि में कीटाणुनाशक दवाईओं की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
• भांग के लिए अनउपजाऊ भूमि भी काम आ सकती है।
कृषि में उपयोग
• भांग खेती कम उपजाऊ भूमि में भी हो सकती है।
• निम्नस्तर टीएचसी (टैट्राहाइड्रोकैनाबि न्वाइड्स) वाले भांग उत्पादन से हसीस/नशा पदार्थ नहीं बन सकता है।
• फसल चक्र हेतु भांग बहुत ही प्रभावकारी फसल है। (उत्तराखंड में मकई के साथ भांग का बोया जाना विज्ञान सम्मत विधि है)। लोबिया को भी भांग के फसल चक्र से लाभ मिलता है।
• भांग खेती हेतु 90-110 दिन ही चाहिए।
• भांग 16 फीट की ऊंचाई तक जा सकता है। जड़ एक फीट गहराई तक जाता है और भूमि की गहराई से पोषक तत्व खींचने में कामयाब पौधा है। फिर जब भांग के पत्ते भूमि में गिरते हैं और सड़ते हैं, या जलाकर राख बनते हैं तो ये पत्ते बाद वाली फसल को पोषक तत्व देते हैं। भांग की जड़ें एक फीट गहरे जाने से भांग भूमि के अंदर जुताई करने में सक्षम है।
• भांग एक ही खेत में सालों साल तक बोने की बाद भी उत्पादनशीलता में कमी नहीं आती है।
• भांग में अल्ट्रा वायलेट किरण प्रतिरोधक शक्ति सोयाबीन आदि से अधिक होती है।
• भांग खरपतवार नहीं जमने देता है।
भांग के तेल के लाभ
• भांग तेल हारमोन संतुलन में सहायक होता है।
• भांग तेल स्किन प्रोटेक्टिव लेयर को ऊर्जा देता है।
• भांग तेल कोलेस्ट्रॉल कम करने में सहायक है।
• भांग तेल डाइबिटीज में भी लाभकारी हो सकता है।
• भांग तेल सोराइसिस में लाभकारी हो सकता है।
• भांग का तेल रोधक शक्ति वृद्धि में काम आता है।
भांग के बीजों के लाभ
• भांग के बीजों में अन्य तेलीय बीजों की तुलना में 34 प्रतिशत अधिक तेल होता है।
• अन्य तेलों के मुकाबले भांग का तेल व्हेल के तेल के बाद सबसे अधिक लाभकारी होता है।
• भांग तेल में सल्फर नहीं होता है।
• भांग के बीजों को निटारने के बाद जो खली बचता है, उसमें सोयाबीन से अधिक प्रोटीन होता है। मसाले व अन्य भोज्य के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है।
• तिल, सरसों आदि की खली की तरह इसकी पिंडी जानवरों के लिए हितकारी है।
भांग के अन्य उपयोग
ड्रेस मैटिरियल्स, मैट्स, फैशनेबल थैले, बोर्ड, कई प्रकार के इंसुलेटर वस्तुएं, कंक्रीट ब्लॉक्स, फाइबर ग्लास में मिश्रण हेतु माध्यम, गहने, जानवरों के गद्दे /बिस्तर आदि।
आलेख- भीष्म कुकरेती