Month: August 2010
गैरा बिटि सैंणा मा (गढवाली कविता)
हे द्यूरा! स्य राजधनि गैरसैंण कब तलै ऐ जाली?बस्स बौजि! जै दिन तुमरि-मेरि अर हमरा ननतिनों का ननतिनों कि लटुलि…
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यात्रा-पर्यटन
पारंपरिक मिजाज को जिंदा रखे हुए एक गांव..
हेरिटेज विलेज माणा हिमालयी दुरूहताओं के बीच भी अपने सांस्कृतिक व पारंपरिक मिजाज को जिंदा रखे हुए एक गांव… हिमालय…
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फिल्म-संगीत
इस दौर की ‘फूहड़ता’ में साफ सुथरी ऑडियो एलबम है ‘रवांई की राजुला’
नवोदित भागीरथी फिल्मस ने ऑडियो एलबम ‘रवांई की राजुला’ की प्रस्तुति के जरिये पहाड़ी गीत-संगीत की दुनिया में अपना पहला…
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हिन्दी-कविता
युद्ध में पहाड़ (हिन्दी कविता)
मेरे देश का सैनिकपहाड़ था पहाड़ हैटूट सकता हैझुक नहीं सकता उसकी अभिव्यक्ति, उसकी भक्तिउसका साहस, उसकी शक्तिउसकी वीरता, उसका…
Read More » मुट्ठियों को तान दो (हिन्दी कविता)
मुट्ठियां भींचो मगरमुट्ठियों में लावा भरकरमुट्ठियों को तान दो दुर व्यवस्था के खिलाफ़इस हवा को रूद्ध कर दोमुट्ठियां विरूद्ध कर…
Read More »आवाज (हिन्दी कविता)
तुम्हारे शब्दमेरे शब्दों से मिलते हैंहमारा मौन टुटतानजर भी आता हैवो तानाशाह हैहमारी देहरी परहम अपनी मांद से निकलेंतो बात…
Read More »गैरसैण के हितैषियों की राजनितिक ताकत ?
उत्तराखण्ड की जनसंख्या के अनुपात में गैरसैंण राजधानी के पक्षधरों की तादाद को वोट के नजरिये से देखें तो संतुष्ट…
Read More »बसन्त (हिंदी कविता)
बसन्त हर बार चले आते हो ह्यूंद की ठिणी से निकल गुनगुने माघ में बुराँस सा सुर्ख होकर बसन्त दूर…
Read More »नन्हें पौधे (हिंदी कविता)
प्लास्टिक की थैलियों में उगे नन्हें पौधे आपकी तरह ही युवा होना चाहते हैं दशकों के बाद बुढ़ा जाने की…
Read More »पहाड़ आवा (गढवाली कविता)
हमरि पर्यटन कि दुकानि खुलिगेन पहाड़ आवाहमरि चा कि दुकान्यों मा ‘तू कप- टी’ बोली जावा पहाड़ आवा हमरा गुमान…
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