गढ़वाली-कविता
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मार येक खैड़ै (गढवाली कविता)
तिन बोट बि दियाली तिन नेता बि बणैयाली अब तेरि नि सुणदु त मार येक खैड़ै ब्याळी वु हात ज्वड़दु…
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पांसा (गढवाली कविता)
1 रावण धरदा बनि-बनि रुप राम गयां छन भैर चुरेड चुडी पैरौणान सीता देळी मु बैठीं डौर 2 अफ्वीं बुलौंदी…
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म्यारा डेरम (गढवाली कविता)
म्यारा डेरम गणेश च चांदरु नि नारेण च पुजदारु नि उरख्याळी च कुटदारु नि जांदरी च पिसदारु नि डौंर थाळी…
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भैजी !!
कंप्यूटर पर न खुज्यावा पहाड़ थैं पहाड़ ऐकि देखिल्यावा पहाड़ थैं सुबेर ह्वेगे, कविलासूं बटि गुठ्यार तक खगटाणिन् तब्बि दंतुड़ी,…
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र्स्वग च मेरू पहाड़ (गढवाली कविता)
गौं मा पाणि नि पाणि नि त मंगरा नि मंगरा नि त धैन-चैन नि धैन-चैन नि त धाण नि धाण…
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घौर औणू छौं (गढवाली कविता)
उत्तराखण्ड जग्वाळ रै मैं घौर औणू छौं परदेस मा अबारि बि मि त्वे समळौणू छौं दनकी कि ऐगे छौ मि…
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हिकमत न छोड़ (गढवाली कविता)
थौ बिसौण कू चा उंदारि उंद दौड़ उकाळ उकळं कि तब्बि हिकमत न छोड़ तिन जाणै जा कखि उंड-फंडु चलि…
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सुबेर होण ई च (गढवाली कविता)
अन्धेरा तू जाग्यूं रौ, भोळ त सुबेर होण ई च। सेक्की तेरि तब तलक, राज तिन ख्वोण ई च॥ आज…
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बिगास (गढवाली कविता)
ब्वै का सौं ब्याळी ही अड़ेथेल छौ मिन् तुमारा गौं खुणि बिगास परसी त ऐ छा मैंमु तुमारा मुल्क का…
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बोली-भाषा (गढवाली कविता)
नवाणैं सि स्याणि छौं गुणदारौं कू गाणि छौं बरखा कि बत्वाणी छौं मंगरौं कू पाणि छौं निसक्का कि ताणि छौं…
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