गढ़वाली-कविता
सोरा (गढवाली कविता)
सोरा भारा कैका ह्वेन
जैंन माणिं सि बुसेन
कांद लगै उकाळ् चढै़
तब्बि छाळों पर घौ लगैन
दिन तौंकु रात अफ्वु कु
इतगि मा बि मनस्वाग ह्वेन
अपड़ा डामि सी मलास्या
अधिता मन तब्बि नि भरेन
स्याणि मारिन भारा सारिन
निसकौं कु तब्बि भारी ह्वेन
सम्मु हिटिन बालिस्त नापिक
अजाड़ बल नाचि नि जाणि
स्याणि टर्कि रस्याण सौंरि
बाजिदौं उपरि गणेन
Source : Jyundal (A Collection of Garhwali Poems)
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